आई नोट , भाग 31
अध्याय-5
पहला दांव
भाग-5
★★★
आशीष और मानवी लग्जरी कार के जरिए किसी होटल की तरफ जा रहे थे। मानवी के हाथ में कुछ पेपर थे और वह आशीष के सामने वाली सीट पर बैठी थी। आशीष कभी मानवी की तरफ देख रहा था तो कभी बाहर की तरफ। जबकि मानवी का ध्यान अपने हाथ में पकड़े पेपर में था।
आशीष ने बातों की शुरुआत की और मानवी से पूछा “तुम्हारी शादी, तुमने बताया कि तुम्हारी शादी को 3 साल हो गए हैं, तो तुम्हारे पति कैसे हैं? मेरे कहने का मतलब उनका व्यवहार कैसा है और क्या कुछ करते हैं?”
मानवी को यह सवाल समान्य लगा। उसने जवाब दिया “जी वो एक प्राइवेट पब्लिशिंग ऑफिस में राइटर है। उनका व्यवहार अच्छा है, काफी ज्यादा प्यार करते हैं, इतना ज्यादा कि वह मेरे बिना 1 दिन भी नहीं रह सकते हैं।”
आशीष को हल्की हंसी आ गई। उसने हंसते हुए मानवी से पूछा “तो फिर वह तुम्हें अब जॉब कैसे करने दे रहे हैं?”
“मेरे कहने का मतलब उस तरह से अलग नहीं रह सकते जिस तरह से अलग रहना होता है।” मानवी ने अपनी बात को हल्का सा घुमाया “जॉब यह सब तो लाइफ का हिस्सा है। इंसान को कभी ना कभी करनी पड़ती है।”
आशीष ने अपने मन में कहा “साफ पता लग रहा है तुम झूठ बोल रही हो, मगर मुझे क्या, मेरे मामले में यह बात मायने नहीं रखती एक पति अपनी पत्नी से कितना प्यार करता है, अगर लड़ाई करवानी हो तो एक हल्की सी चिंगारी काफी है।” आशीष ने अपनी बात को पूरा किया और मानवी से पूछा “तुम्हारी कहानी क्या रही थी? आई मीन तुम लोगों ने लव मैरिज की थी या फिर अरेंज?”
“इसे लव मैरिज ही कहा जा सकता है, हालांकि हमारी अरेंज मैरिज भी हो जाती, मेरे माता-पिता उन्हें पहले से ही जानते थे, वह किसी रेस्टोरेंट में काम करते थे तो वहां मेरे माता-पिता कि उनसे मुलाकात हुई थी, उन्हें लड़का अच्छा लगा था और घर पर उन्होंने इस बारे में बात भी की थी कि वह मेरी उससे शादी करवा देंगे, दरअसल मैं भी उनके प्रपोज करने से पहले अपने माता-पिता को बता चुकी थी कि मुझे वह पसंद है। उसकी बातें, उसका केयर करना, यह सब दिलचस्प था और मैं खुद को उसे पसंद करने से रोक नहीं सकी।”
“बातें, क्या तुमने सिर्फ बातें देखकर शादी की, तुम्हें नहीं लगता अगर हमें किसी को अपना जीवनसाथी बनाना है तो यह देखना चाहिए कि वह क्या करता है क्या नहीं? उसके पास अच्छी नौकरी है या नहीं? या फिर आने वाले समय में वह हमारे शौक पूरे कर पाएगा या नहीं? अच्छा खाना पीना, रहन सहन, कई तरह की खुशियां, जिसमें महंगे क्लब में डांस करना और पार्टी करना, क्या तुमने यह नहीं सोचा था कि तुम्हारा पति तुम्हें यह दे पाएगा या नहीं।”
“आ...” मानवी सोच में पड़ गई। कुछ देर सोचने के बाद उसने कहा “मुझे नहीं लगता अगर दो लोगों के बीच सच्चा प्यार है तो यह बात मायने रखती है। अक्सर दौलत और प्यार दोनों को एक जैसा नहीं समझा जा सकता। दौलत की अपनी वैल्यू होती है और प्यार की अपनी।”
“मगर मिस मानवी ” आशीष ने कहा “दौलत की वैल्यू प्यार से ज्यादा होती है। अगर किसी के पास दौलत है तो वह कुछ भी कर सकता है। प्यार तो जब चाहे तब हासिल किया जा सकता है मगर दौलत, बेशुमार दौलत को हासिल करने में सालों साल लग जाते हैं। अगर मैं तुम्हारे पति का एग्जांपल देखकर तुम्हें कहूं, तो मुझे नहीं लगता तुम्हारा पति कभी अपनी जिंदगी में मेरे जितना अमीर हो सकता है। वह अगर अपनी भरपेट मेहनत भी कर लेगा तो भी इतना नहीं कमा पाया का जितना मैं 1 दिन में कमाता हूं।”
मानवी के चेहरे पर खामोशी छा गई। आशीष अपनी बातों में यह बताने की कोशिश कर रहा था कि वह उसके पति से कितना गुना बढ़कर है।
आशीष पीछे की तरफ हुआ और कहा “वैसे मुझे ऐसा करना तो नहीं चाहिए, मगर प्यार और दौलत की बात चल पड़ी है तो मैं खुद को ऐसा करने से रोक नहीं पा रहा हूं, मैं तुम्हारे पति और मुझ में एक सामान्य तुलना कर रहा हूं। तुम खुद देख सकती हो तुम्हारे पति क्या हैं, और मैं क्या हूं। मेरे पास हर तरह की सुख सुविधा है, जबकि तुम्हारा पति, उसके पास कोई ढंग की कार भी नहीं होगी। मेरे पास ढेर सारे गेस्ट हाउस हैं, जबकि तुम्हारे पति, उसके पास ढंग का घर भी नहीं होगा, अच्छा तुम्हारे पति करता क्या है?” उसने जानबूझकर मानवी से पूछा।
“जी को एक लेखक हैं।” मानवी ने बताने में थोड़ी शर्मिंदगी महसूस की। अब उसे अपने पति की हर बात एक शर्मिंदगी लगने लगी थी।
“लेखक...” आशीष बोला “तुम्हें पता है इस दुनिया में लेखक की क्या वैल्यू है। एक लेखक अगर किताब छाप दें तो कोई उस किताब को देखता तक नहीं, तब तक तो बिल्कुल भी नहीं जब तक वह कोई बड़ा नाम ना हो, या फिर पहले से ही फेमस ना हो, तुम्हारा पति अपनी किताबें लिखकर जिंदगी भर कामयाब नहीं हो पाएगा।”
“मगर वह कामयाब होने के लिए नहीं लिखते, लिखना उनका शौक है और वह अपने शौक के लिए लिखते हैं। उन्हें तो इससे भी मतलब नहीं कोई उनकी किताबें पढ़ता है या नहीं, या फिर उनकी कहानी किसी को पसंद आती है या नहीं, उन्हें बस लिखना है।”
“यह भला कैसी बात हुई...” आशीष हंस पड़ा “एक लेखक दिखावा कर चाहे कितना भी क्यों ना कह लें कि वह लोगों के लिए नहीं लिखता, मगर सच्चाई यही होती है कि वह लोगों के लिए लिखता है, अगर उसे खुद के लिए लिखना होता तो वह किताबें क्यों छापता, किताबें छाप कर उसे अपने पास ही क्यों नहीं रख लेता, कहानियां लिखकर लोगों को क्यों कहता कि इस पर कमेंट करो, अच्छी समीक्षा दो, आखिर क्यों”
“क्योंकि इससे लेखकों को खुशी मिलती है, जिस तरह से हम खाना बनाने के बाद उसे अपने तक नहीं रखते, उसे दूसरों को भी टेस्ट करवाते हैं और जानते हैं कि वह कैसा बना है कैसा नहीं, उसी तरह से लेखक कहानी लिखकर उसे अपने पास नहीं रखता, उसे दुनिया के सामने लेकर आता है और उनसे पूछता है कि इसका टेस्ट कैसा है। अपनी कहानी लिखकर दुनिया के सामने लेकर आना, और दुनिया के हिसाब से कहानी लिखकर उसे सामने लेकर आना, दोनों में फर्क होता है। मगर सच्चाई यही रहती है, अपने लिए लिखी गई कहानी अपने लिए लिखी गई कहानी ही कहलाती है।”
“हम इस मुद्दे पर बहस नहीं कर सकते...” आशीष बात को बदलता वह बोला “मुझे कहानियों की समझ नहीं और तुम्हारे पति को बिजनेस की, मगर इस बात पर बहस जरूर की जा सकती है कि कौन किस से कितना बेस्ट है। क्या तुम अपने पति की सबसे अच्छी खुबी बता सकती हो?”
“अच्छी खूबी!!” मानवी सोच में पड़ गई।
“हां, कोई ऐसी खूबी जिसके बाद तुम्हारा पति इस दुनिया में सबसे अलग बनता है। ठीक वैसे जैसे मैं हूं। मैं इस दुनिया में अलग हूं, क्या तुम्हारा पति भी ऐसा है?”
मानवी ने ना में सिर हिला दिया “नहीं, ऐसी तो कोई खुबी नहीं है, उनकी खास बात बस यही है कि वह बस लेखक हैं।”
“जो कि कहीं से भी खास नहीं है।” आशीष हंस दिया। आशीष हंसा तो मानवी को यह बात अपने पति के लिए एक इंसल्ट लगी। मगर वह कुछ कह नहीं सकती थी। आशीष अपनी जगह सही था।
जल्द ही कार किसी आलीशान होटल के बाहर रुकी। कार के रुकते ही 7 से 8 कोट पैंट पहने व्यक्ति आए और दरवाजा खोलकर आशीष का स्वागत किया। आशीष बाहर निकला और अपना हाथ आगे बढ़ा मानवी को बाहर आने के लिए मदद की।
आशीष की बातों के बाद मानवी का चेहरा बुझा बुझा हो गया था, उसके चेहरे पर हताशा के भाव थे। अगर वह चेहरे पर खुशी भी दिखा रही थी तो वह भी दिखावटी लग रही थी। आशीष ने इसे समझा और एक मुस्कुराहट दी। इस बात के लिए कि वह अब आगे अपनी बातों को काफी ज्यादा प्रभावी बनाने वाला है।
कार से बाहर आने के बाद आशीष नीचे बीछे कालीन पर चलने लगा। मानवी भी उसके पीछे-पीछे चलने लगी। आस पास ढेर सारे रिपोर्टर थे जो उनकी फोटोस खींच रहे थे। आशीष का रुतबा देखते बनता था।
जल्द ही दोनों होटल में गए, वहां एक के बाद एक शख्सियत आकर उसका हाल चाल पूछ रही थी। मानवी यह सब देख रही थी। यह देखकर उसके दिमाग में उलझन पैदा होती जा रही थी।
काफी सारे लोगों से हाथ मिलाने के बाद आशीष एक बड़े आलीशान कमरे में जाकर बैठ गया। वहां कुछ लोग पहले से ही थे। मानवी वही आशीष के पास मौजूद सोफे पर बैठ गई।
सामने मौजूद लोग वो थे जिनसे आशीष को कंपनी की डील का सौदा करना था। सभी के बीच कंपनी की डील को लेकर बात होने लगी। मानवी उनकी बातों को सुनती रही। हालांकि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि ज्यादातर बातें कमर्शियल सेक्टर को लेकर थी, जो उसके सर के ऊपर से जा रही थी।
आखिरकार आशीष ने सभी बातों को बंद किया और सामने वाली पार्टी से कहा “तो हम एक बिलियन में ही यह डील फाइनल करते हैं, आपकी कंपनी मेरी हो जाएगी।”
सामने के लोगों ने एक दूसरे के चेहरों की तरफ देखा, और फिर हां भरते हुए डील फाइनल कर ली। वही मानवी यह सोचती रह गई कि आखिर एक बिलियन कितना होता है।
जल्द ही डील फाइनल हुई और दोनों बाहर आ गए। बाहर आने के बाद आशीष ने मानवी से कहा “डिल तो फाइनल हो चुकी है लेकिन अभी हमें और भी काफी सारा काम है, इससे पहले हम उस काम पर आगे बढ़े तुम्हें खाना खा लेना चाहिए। मैं तुम्हें खाना खिलाने के लिए एक बढ़िया जगह ले चलता हुं”
मानवी ने इस बात पर हां या ना किसी तरह का जवाब नहीं दिया। वह आशीष के साथ चल पड़ी। तकरीबन 1 घंटे बाद उन्होंने एक महंगे रेस्टोरेंट्स पर महंगा खाना खाया। मानवी के सामने जो भी खाना मौजूद था उसने वह खाना कभी अपनी जिंदगी में नहीं देखा था। यह सब उसके लिए नया था।
खाना खाने के बाद आशीष जहां भी गया वह समंदर के किनारे बनी एक जगह थी। एक अपार्टमेंट जहां उसने कुछ और लोगों से बात की। वहां मानवी ने समंदर के नजारे देखें। अपार्टमेंट के नजारे देखें। वह आशीष की रहीशी से मोहित हो रही थी। वह उसकी रहीशी की वजह से उसकी ओर खींची जा रही थी।
★★★